संत रामपाल दास जी को गिरफ्तार करने के आदेश हाई कोर्ट चण्डीगढ़ ने दिए हैं,
उसकी सच्चाई क्या है?
कोर्ट की अवमानना का मुकदमा CROCP Cr. No. 12 of 2014क्या है?
‘‘Court on its own motion V/S Rampal & Others -CROCP Cr. No. 12 of 2014”
संत रामपाल दास जी महाराज को कई झूठे मुकदमों में फँसा रखा है। उनमें से एक मुकदमा नं. 198/2006 करौंथा आश्रम के झगड़े का है।
इस मुकदमें में सैशन जज रोहतक ने दिनांक 12.02.2014 को प्रमानैंट हाजरी माफी कर दी थी। फिर 06.06.2014 को वह हाजरी माफी सैशन जज ने स्वयं ही कैन्सिल करके संत रामपाल दास जी महाराज को 14.07.2014 को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया।
संत रामपाल जी ने कोर्ट के आदेशानुसार 14.07.2014 को विडियो कान्फरेन्स रूम के माध्यम से हिसार कोर्ट में हाजरी लगवाई।
राष्ट्रीय समाज सेवा समिति के सदस्यों ने भ्रष्टाचार के विरोध में रोहतक तथा हिसार में प्रदर्शन किया तथा संत रामपाल दास जी की सुरक्षा के लिए कुछेक RSSS के युवा कमांडो को नियुक्त किया।
हिसार का S.P. भी गवाह है कि संत रामपाल दास जी तथा RSSS के सदस्यों की ओर से कुछ भी ऐसा नहीं किया गया जो कानून के लिहाज से गलत हो।
22.07.2014 को हाई कोर्ट के डबल बैंच के जजों (माननीय राजीव भल्ला तथा जज अमोल रत्न सिंह) ने संत रामपाल जी पर कोर्ट की अवमानना का मुकदमा CROCP Cr. No. 12 of 2014बनाकर आदेश दिया कि संत रामपाल जी महाराज अपना पक्ष स्वयं या अपने वकील के माध्यम से Affidavit के द्वारा कोर्ट में रखें।
संत रामपाल दास जी ने शपथ पत्र में स्पष्ट कर दिया कि मैंनें किसी अनुयाई को हिसार तथा रोहतक आने के लिए नहीं कहा, वे स्वयं दर्शनार्थ आए थे। वहाँ पर जो भी प्रदर्शन किया गया, वह RSSS के द्वारा किया गया है जिसका संचालन मास्टर रामकुमार ढाका कर रहा है।
हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय समाज सेवा समिति (RSSS) के प्रधान को कोर्ट में पेश होकर पक्ष रखने को कहा। प्रधान ने शपथ पत्रा में स्पष्ट किया कि रोहतक तथा हिसार में जो भ्रष्टाचार के विरूद्ध प्रदर्शन किया तथा संत रामपाल दास जी की सुरक्षा के लिए व्यवस्था राष्ट्रीय समाज सेवा समिति के सदस्यों ने की थी जिसका निर्णय राष्ट्रीय समाज सेवा समिति के सर्व 10 लाख सदस्यों ने सर्व सम्मति से लिया था।
फिर भी हमने रोहतक तथा हिसार में कोई ऐसा कार्य नहीं किया जो कानून के खिलाफ हो तथा जिससे कोर्ट की अवमानना हुई हो।
दिनांक 24.09.2014 को हाई कार्ट के डबल बैंच (जज राजीव भल्ला + जज सुरेन्द्र गुप्ता) ने आदेश कर दिया कि जिन RSSS के सदस्यों ने मीटिंग करके निर्णय लिया तथा जिन्होनें हिसार तथा रोहतक कोर्ट में प्रदर्शन किया, उनके नाम व पूरा पता तीन दिन के अंदर–अंदर हाई कोर्ट में जमा कराएं तथा 05.11.2014 को संत रामपाल जी, RSSSके प्रधान रामकुमार ढाका तथा Dr. O.P. Hooda तथा RSSS के सदस्य कोर्ट में हाजिर हों।
दिनांक 29.09.2014 को प्रधान रामकुमार ढाका ने लगभग एक लाख सदस्यों की सूची माननीय हाई कोर्ट में जमा करके प्राप्ति प्रमाण पत्रा ले लिया। राष्ट्रीय समाज सेवा समिति ने चण्डीगढ़ प्रशासन को पत्रा लिखकर सूचित किया कि कोर्ट के आदेश CROCP Cr. No. 12 of 2014 Dated – 24.09.2014 के अनुसार 5.11.2014 को लगभग एक लाख सदस्य कोर्ट में हाजरी लगवाने आएंगे। आप जी हमारे ठहरने का प्रबन्ध करें। कोर्ट के इस आदेश की एक प्रति तथा एक लाख सदस्यों के नाम कोर्ट में जमा कराए उनकी प्राप्ति प्रमाण भी अर्जी के साथ लगाया।
इसी दौरान हाई कोर्ट के रिजिस्ट्रार की ओर से प्रधान के पास आदेश आया कि मुझे हाई कोर्ट ने आदेश दिया है कि मैं आपसे प्रार्थना करूं जो इस प्रकार है। आप जी (प्रधान राष्ट्रीय समाज सेवा समिति) अपनी संस्था के Executive Members का पूरा पता तथा सूची कोर्ट में जमा कराएं ताकि उनको नोटिस जारी किए जा सके।
दिनांक 30.10.2014 को राष्ट्रीय समाज सेवा समीति के प्रधान रामकुमार ढाका की ओर से कार्यकारिणी के 11100 (ग्यारह हजार एक सौ) सदस्यों के पूरे पते समेत माननीय हाई कोर्ट में जमा कराकर प्राप्ति ले ली।
दिनांक 29.10.2014 को चण्डीगढ़ प्रशासन ने अर्जी लगाई कि कोर्ट के आदेश CROCP Cr. No. 12 of 2014 दिनांक 24.9.2014 के आदेशानुसार जो राष्ट्रीय समाज सेवा समिति के सदस्यों को जो सम्मन किए हैं तथा कोर्ट द्वारा बाउंड (Summoned/Bound) किए हैं, वे संख्या में लगभग एक लाख हैं। हम इतने व्यक्तियों के ठहरने की व्यवस्था नहीं कर पाएंगें। कृप्या आदेश पर पुनः विचार किया जाए।
दिनांक 30.10.2014 को चण्डीगढ़ प्रशासन की अर्जी पर पुनः विचार करके आदेश को बदल कर केवल Executive Members को कोर्ट मे आने का आदेश दिया। दिनांक 31.10. 2014 को सन्त रामपाल दास जी को कोर्ट की ओर से आदेश गया कि केवल RSSS Executive Members ही कोर्ट में आऐंगे और नहीं जिसका स्पष्ट भाव है कि सन्त रामपाल जी को भी कोर्ट में दिनांक 5.11.2014 को नहीं आना है। (आदेशकर्ता राजीव भल्ला जज वाला डबल बैंच)
चण्डीगढ़ प्रसाशन ने फिर 3.11.2014 को सुबह हाई कोर्ट में अर्जी लगाई कि तारीख 5.11.2014 को आगे बढ़ाया जाए, समय कम रह गया है। RSSS के सदस्य कोर्ट के आदेशानुसार बहु–संख्या में आएंगे। उस थोड़े समय में पुलिस के लिए व्यवस्था करना सम्भव नहीं हो सकेगा। उसी दिन दिनांक 3.11.2014 की शाम को सुनवाई करके हाई कोर्ट के जज एम. जायपाॅल वाले डबल बैंच ने आदेश क्रमांक CROCP Cr. No. 12 of 2014 दिनांक 3.11. 2014 में कहा कि केवल Executive Members ही कोर्ट में 5.11.2014 को उपस्थित होगें।
दिनांक 4.11.2014 को पुनः उसी डबल बैंच (जज एम. जाॅयपाल वाले बैंच) ने आदेश किया कि केवल बाबा रामपाल, प्रधान रामकुमार ढाका तथा डाॅ. ओ.पी. हुड्डा ही 5.11.2014 को कोर्ट में पेश हों।
पूर्व आदेश 24.9.2014 के अनुसार एक लाख सदस्य कोर्ट में हाजरी लगवाने के लिए 5.11.2014 को पहुँच गए क्योंकि उनको कोई संदेश अगले आदेश का नहीं था।
दिनांक 24.09.2014 को अस्वस्थ होने के कारण हाजरी माफी, दिनांक 05.11.2014 को डा. भी कोर्ट में हाजिर होकर कह रहा है कि वे अस्वस्थ हैं। फिर भी कोई माफी नहीं। संत रामपाल जी महाराज के गैर–जमानती वारंट कर दिए।निष्कर्ष:- उपरोक्त घटनाक्रम से पता चलता है कि न्यायधीश महोदय कानून को आधार न मानकर अपनी मनमानी कर रहे हैं जो निंदा की बात है।
मुकदमा नं. CROCP Cr. No. 12 of 2014 Dated 24.9.2014 के आदेशानुसार संत रामपाल जी, प्रधान रामकुमार ढाका तथा राष्ट्रीय समाज सेवा समिति के सर्व सदस्यों पर अपराध बनता है, सर्व आएं।
आदेश दिनांक 30.10.2014 में केवल 11100 (ग्यारह हजार एक सौ) Executive Members ही अपराधी हैं, वे ही कोर्ट में आएं। शेष संत रामपाल जी महाराज तथा रामकुमार ढाका का कोई अपराध नहीं।
आदेश दिनांक 03.11.2014 में भी Executive Members ही अपराधी हैं, एक लाख अपराध मुक्त।
आदेश दिनांक 04.11.2014 में 11100 (ग्यारह हजार एक सौ) अपराध मुक्त, केवल संत रामपाल जी तथा रामकुमार ढाका प्रधान व Dr. O.P. Hooda ही अपराधी हैं, Executive Members भी अपराध मुक्त।
कानून है कि कोई भी कोर्ट अपने आदेश को बदल नहीं सकती। वाह रे जज साहेबान! आपके तुगलकी फरमान! ऐसी मानसिकता वाले जजों ने ही न्यायालय की गरिमा को गिराया है।
हाई कोर्ट कहती है:-
RSSS में संत रामपाल जी के शिष्य हैं। संत रामपाल मना करे तो वे मान सकते हैं।
उत्तर:- संत रामपाल जी के सदस्य तो राजनीति में भी हैं। अन्य सरकारी पदों पर तथा अपना व्यवसाय भी कर रहे हैं। यदि वे कोई गलती करते हैं तो क्या संत रामपाल जी महाराज दोषी होंगे। रस्सी के गाँठ लगा रखी है कि जिसको फिट, उसी को फाँसी।
कारण :- हमने तीन पुस्तकें लिखी हैंः–
1. सच बनाम झूठ, 2. न्यायालय की गिरती गरिमा, 3. भ्रष्ट जज कुमार्ग पर, जिसकी रंजिश निकाली जा रही है।
हम क्या चाहते हैं ? मानव कल्याण।
इसलिए:-
1. स्वच्छ न्यायकारी न्यायपालिका हो।
2. जजों की जवाबदेही कानून अतिशीघ्र बने।
3. जिन जजों, प्रशासनिक अधिकारियों, मुख्यमंत्राी की हमने शिकायत की है, उनकी जाँच करके कानूनी कार्यवाही हो।
हम तीन पत्रों उर्फ पुस्तकों के माध्यम से भारत के माननीय महानुभावों को भेज चुके हैं। बड़े दुख के साथ कहना पड़ रहा है कि आज दिनांक 04.11.2014 तक कोई कार्यवाही नहीं हुई है। यह देश का दुर्भाग्य है या मुट्ठी भर महान पदों पर विराजमान भ्रष्ट जजों, राजनेताओं तथा प्रशासनिक अधिकारियों की बेशर्मी, हठ धर्म है? जिन पत्रों उर्फ पुस्तकों के द्वारा जानकारी दी गई है तथा प्रार्थना की गई है, वे हैं– 1. “सच बनाम झूठ” 2. ‘‘न्यायालय की गिरती गरिमा”, 3. ‘‘भ्रष्ट जज कुमार्ग पर” (Corrupt Judges on Wrong Path)
4. अन्यायी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा पूर्व मुख्यमंत्री हरियाणा के काले कारनामों की जाँच हो, पहले इसको जेल में डाला जाए, नहीं तो यह भ्रष्टाचार के माध्यम से जाँच को प्रभावित कर सकता है।
5. हम यह भी चाहते हैं कि सर्व मानव व्यसन व बुराई रहित होकर भक्ति करके मानव जीवन सफल करें।
7. झूठा केस नं. 446/2006 dated 21.07.2006 P.S. City Rohtak खत्म करो।
8. झूठा केस नं. CROCP Cr. No. 12 of 2014 खत्म करो तथा जिन्होनें ये झूठे केस बनाए, उन पर कानूनी कार्यवाही हो।
धन्यवाद।
प्रार्थी राष्ट्रीय समाज सेवा समीति के सर्व 10 लाख सदस्य (यह समीति पूर्ण रूप से धार्मिक तथा गैर-राजनीतिक संस्था है।) सम्पर्क सूत्र: -09992373237, 09416296541, 09416296397, 09813844747
‘‘प्रैस में बताने के लिए‘‘
(1) रोहतक, हिसार के S.P. तथा संत रामपाल जी महाराज पर 14.07.2014 वाली घटना पर Contempt किया था। सभी ने कोर्ट में जवाब दे दिया था तो केवल संत रामपाल जी को ही गैर जमानती वारंट क्यों?
(2) यदि ये जज न्यायकारी होते तो 14.07.2014 वाली घटना पर Contempt केस बनता ही नहीं, चाहे फुटेज निकलवाकर देख लें।
(3) कोर्ट में जाएं तो Contempt बनता है, न जाएं तो गिरफ्तारी वारंट जारी होता है।
(4) 24.09.2014, 05.11.2014 तथा 10.11.2014 को मैडिकल प्रमाण पत्र को जज ने नहीं माना। यह स्थिति केवल संत रामपाल जी महाराज की ही क्यों? क्या जज बीमार नहीं होते?
(5) दिनांक 05.11.2014 को RSSS का प्रतिनिधिमंडल चीफ जस्टिस से मिला था। उनको सारी स्थिति से अवगत करवाया था। हमने यह भी पूछा था कि क्या आप बीमार नहीं होते? उनका उत्तर था कि होते हैं। दूसरा प्रश्न था क्या बीमारी की अवस्था में आप कोर्ट में जाते हो? उत्तर था–नहीं। तो यह बात संत रामपाल जी पर लागू क्यों नहीं होती?
(6) 24.09.2014 के आदेश को हाईकोर्ट के जजों की उसी बैंच ने 22.10.14, 10.10.2014, 03.11.2014 तथा 04.11.2014 को बदला है। क्या वही जज या बैंच अपने फैंसले को बदल सकता है? यह गलत है, इन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। जजों के लिए जवाबदेही कानून बनाया जाए।
(7) 2006 से लेकर अब तक जितने भी केस संत रामपाल जी तथा उनके शिष्यों पर हुए हैं, उनकी लाइव जाँच करवाई जाए ताकि भ्रष्ट जजों की तथा पूर्व मुख्यमंत्राी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की पोल खुले व जनता के सामने सच्चाई आ जाए।
(8) उपरोक्त सभी कारणों को देखते हुए RSSS ने यह निर्णय लिया कि जब कोर्ट में बैठे कुछ भ्रष्ट जज न्यायसंगत प्रक्रिया को नहीं मानते तो हम भी कोर्ट के अविवेकपूर्ण आदेशों को नहीं मानते। हम संत रामपाल जी महाराज को किसी भी कीमत पर कोर्ट में पेश नहीं होने देंगे। चाहे लाखों लोगों की आहुति देनी पड़े, हम हिचकेंगे नहीं। अब निर्णय प्रशासन करे कि कितने बलिदान लेने हैं?
(9) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्राी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा हमारे सतगुरू रामपाल दास जी तथा भक्तों पर बने सर्व मुकदमें झूठे हैं, जिन पर पुनः विचार किया जाए। हम सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा चुके हैं, परंतु हमारी किसी ने नहीं सुनी।
(10) हम यह कार्य आम जनता को कोर्टों के मनमाने फरमानों तथा अन्यायकारी निर्णर्यों से बचाने के लिए तथा जजों की तानाशाही का शिकार होने से बचाने के लिए कर रहे हैं। हमारा निजी स्वार्थ नहीं है। यह न्यायिक आजादी की लड़ाई है।
आम जनता से अनुरोध है कि आप भी स्वच्छ न्याय प्रणाली बनाने में हमारा सहयोग करें।
चण्ड़ीगढ़ हाईकोर्ट के मनमाने संविधानों के विरूद्ध आदेशों की फोटो कापियाँ संलग्न है।
प्रार्थी
राष्ट्रीय समाज सेवा समीति
के सर्व 10 लाख सदस्य
(यह समीति पूर्ण रूप से धार्मिक तथा गैर–राजनीतिक संस्था है।)