संत रामपाल दास जी – Contempt of Court – Matter for Press
(1) रोहतक, हिसार के S.P. तथा संत रामपाल जी महाराज पर 14.07.2014 वाली घटना पर CONTEMPT किया था। सभी ने कोर्ट में जवाब दे दिया था तो केवल संत रामपाल जी को ही गैर जमानती वारंट क्यों?
(2) यदि ये जज न्यायकारी होते तो 14.07.2014 वाली घटना पर CONTEMPTकेस बनता ही नहीं, चाहे फुटेज निकलवाकर देख लें।
(3) कोर्ट में जाएं तो CONTEMPT बनता है, न जाएं तो गिरफ्तारी वारंट जारी होता है।
(4) 24.09.2014, 05.11.2014 तथा 10.11.2014 को मैडिकल प्रमाण पत्र को जज ने नहीं माना। यह स्थिति केवल संत रामपाल जी महाराज की ही क्यों? क्या जज बीमार नहीं होते?
(5) दिनांक 05.11.2014 को RSSS का प्रतिनिधिमंडल चीफ जस्टिस से मिला था। उनको सारी स्थिति से अवगत करवाया था। हमने यह भी पूछा था कि क्या आप बीमार नहीं होते? उनका उत्तर था कि होते हैं। दूसरा प्रश्न था क्या बीमारी की अवस्था में आप कोर्ट में जाते हो? उत्तर था–नहीं। तो यह बात संत रामपाल जी पर लागू क्यों नहीं होती?
(6) 24.09.2014 के आदेश को हाईकोर्ट के जजों की उसी बैंच ने 22.10.14, 10.10.2014, 03.11.2014 तथा 04.11.2014 को बदला है। क्या वही जज या बैंच अपने फैंसले को बदल सकता है? यह गलत है, इन्हें कोई पूछने वाला नहीं है। जजों के लिए जवाबदेही कानून बनाया जाए।
(7) 2006 से लेकर अब तक जितने भी केस संत रामपाल जी तथा उनके शिष्यों पर हुए हैं, उनकी लाइव जाँच करवाई जाए ताकि भ्रष्ट जजों की तथा पूर्व मुख्यमंत्राी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा की पोल खुले व जनता के सामने सच्चाई आ जाए।
(8) उपरोक्त सभी कारणों को देखते हुए RSSS ने यह निर्णय लिया कि जब कोर्ट में बैठे कुछ भ्रष्ट जज न्यायसंगत प्रक्रिया को नहीं मानते तो हम भी कोर्ट के अविवेकपूर्ण आदेशों को नहीं मानते। हम संत रामपाल जी महाराज को किसी भी कीमत पर कोर्ट में पेश नहीं होने देंगे। चाहे लाखों लोगों की आहुति देनी पड़े, हम हिचकेंगे नहीं। अब निर्णय प्रशासन करे कि कितने बलिदान लेने हैं?
(9) हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्राी भूपेन्द्र सिंह हुड्डा द्वारा हमारे सतगुरू रामपाल दास जी तथा भक्तों पर बने सर्व मुकदमें झूठे हैं, जिन पर पुनः विचार किया जाए। हम सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगा चुके हैं, परंतु हमारी किसी ने नहीं सुनी।
(10) हम यह कार्य आम जनता को कोर्टों के मनमाने फरमानों तथा अन्यायकारी निर्णर्यों से बचाने के लिए तथा जजों की तानाशाही का शिकार होने से बचाने के लिए कर रहे हैं। हमारा निजी स्वार्थ नहीं है। यह न्यायिक आजादी की लड़ाई है।
आम जनता से अनुरोध है कि आप भी स्वच्छ न्याय प्रणाली बनाने में हमारा सहयोग करें।