DUTIES OF RSSS
‘‘राष्ट्रीय समाज सेवा समिति का कत्र्तव्य‘‘:-
बुराईयां समाज से निर्मूल करने के लिए हमने निम्न प्रयत्न करने हैं:-
* भ्रष्टाचार पर रोकथाम के लिए सरकार से पत्राचार करके दृढ़ कानून बनाने के लिए प्रार्थना पत्र लिखे जाऐं। अपने सुझाव भी दिए जाऐं।
सेना देश की सीमा पर तैनात रहती है। यदि कोई शरारती तत्व देश की सीमा को लांघता है तो सेना युद्ध करके खदेड़ती है। युद्ध करती है, उसमें चाहे जान भी चली जाए।
इसी प्रकार राष्ट्रीय समाज सेवा समिति ने कार्य करना है। हमारा युद्ध लाठी-गोली का नहीं होगा। हमारा संघर्ष कानून के अन्तर्गत सवैधानिक तरीके से चलेगा। हम किसी को मार नहीं सकते क्योंकि घुसपैठिया (भ्रष्टाचारी) विदेशी नहीं है। ये स्वदेशी हैं अपने भाई-बहन तथा बुजुर्ग हैं।
सख्त तथा उपयोगी कानून बनाने के लिए सरकार यदि सीधे-सीधे नहीं मानती है तो उसके लिए यदि जेल भी जाना पड़े या समाज हित में जान भी जाए तो परमार्थ के लिए शहीद होने से भी पीछे नहीं हटेंगे।
कबीर, तरवर (वृक्ष) सरवर (सरोवर) संत जन, चैथा बरष मेहे।
परमार्थ के कारणे चारों धारें देह।।
कबीर, नर संसारी लगन में सुख, दुख सहें कंरोड़ा।
गुरू शरण और परमार्थ में जो सह सो थोड़ा।।
इसके अतिरिक्त मानव समाज तथा सरकार में कार्यरत अधिकारियों, कर्मचारियों, राजनेताओं, जजों तथा सरकार के मन्त्रिायों आदि-आदि को अध्यात्म ज्ञान जो परमात्मा का विधान है उससे भी परिचित कराना है। उसके लिए धार्मिक पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा‘‘ का प्रचार करना है।
सत्संग प्रवचनों की DVD का जनता में प्रचार करना है। असहाय-गरीब व्यक्तियों की सहायता करनी है। उनको समाज में निर्भय जीवन जीने के लिए समाज में, प्रशासनिक, न्याय प्रणाली तथा राजनीति में जो भी सुधार सम्भव होगा, उसके लिए प्रयत्न करना है।
* जिस किसी को परमार्थ के लिए किये जाने वाले संघर्ष से डर लगे, वह इस समिति का सदस्य न बने।
* परमार्थ के लिए मृत्यु उपरान्त अपने शरीर के अंग दान कर सकते
* रक्त दान करके रोगियों तथा घायलों की सहायता करें।