OBJECTIVE OF RSSS

‘‘राष्ट्रीय समाज सेवा समिति का उद्देश्य‘‘:-

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

1. मानव एकता:-

विभाजित मानव को एक सूत्र में बांधने के लिए आध्यात्म ज्ञान के द्वारा प्रयत्न करना।

आत्म प्राण उद्धार हीं, ऐसा धर्म नहीं और।
कोटि अश्वमेघ यज्ञ, सकल समाना भौर।।
जीव उद्धार परम पुण्य, ऐसा कर्म नहीं और।
मरूस्थल के मृग ज्यों, सब मर गये दौर-दौर।।

‘‘मानव एकता का मूल मन्त्र है धार्मिक व आध्यात्मिक एकता‘‘

विवेचनः- मानव समाज धार्मिकता के आधार से विभाजित हुआ है। परमात्मा से लाभ प्राप्ति की जो साधना वर्तमान में हिन्दू समाज में प्रचलित है, उस कारण से हिन्दू कहलाए।

इसी प्रकार यहूदी, इसाई तथा मुसलमान तथा सिक्ख धर्मों का जन्म हुआ। यदि आध्यात्म के वास्तविक तात्पर्य को न समझा तो कई धर्मों का जन्म होने जा रहा है। उदाहरण के लिए (क) राधा स्वामी (ख) इसी से निकली शाखा ‘‘धन-धन सतगुरू सिरसा‘‘ (ग) निरंकारी। ये सर्व भी भक्ति व धार्मिकता की अपनी साधना को अन्य से श्रेष्ठ होने के दावा करके दृढ़ हैं। कुछ समय उपरान्त ये धर्म का रूप लेकर मानव समाज के लिए लड़-मरने का नया मोर्चा बन जाएगा।

संत रामपाल दास जी महाराज ने धर्म तथा आध्यात्म के अध्याय को अच्छी तरह समझा है। बताया है कि

जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई धर्म नहीं कोई न्यारा।।

संत रामपाल दास जी महाराज ने सर्व धर्मों के सद्ग्रन्थों को तथा वर्तमान में चल रही भक्ति साधना को अच्छी तरह जाना। पाया कि सद्ग्रन्थ सही हैं परंतु सद्ग्रन्थों को ठीक से न समझ कर साधना विपरीत की जा रही है। साधना शास्त्रानुकूल हो जाने पर हम सर्व एक ही सूत्र में बंध जाएंगे तथा हमारा “मानवता” धर्म बन जाएगा जिसकी वर्तमान में अति आवश्यकता है। उसके लिए पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा‘‘ के ज्ञान को पढ़ें, सर्व समस्या का समाधान हो जाएगा कि किसकी भक्ति विधि शास्त्रानुकूल है, किसकी प्रतिकूल है? पुस्तक मंगवाने के लिए निम्न सम्पर्क सूत्रों पर अपना पूरा पता SMS करें।

सम्पर्क सूत्र :- 8684900300, 8684900400 or 8685000300

2. समाज सेवा राष्ट्र सेवा है:-

जैसे सेना सीमा पर राष्ट्र सुरक्षा की सेवा करती है वैसे ही राष्ट्रीय समाज सेवा समीति राष्ट्र के अन्दर लगी दीमक से सुरक्षा करेगी। दीमक = काष्ट को नष्ट करने वाली चीटियों को दीमक कहते हैं जो अन्दर से कडि़यों ( Wooden Batons) को खोखला व कमजोर कर देती हैं। जिस कारण से मकान की छत गिर जाती है। घर के सदस्य भी नीचे दब कर मर जाते हैं। इसी प्रकार निम्न दीमक राष्ट्र को खोखला तथा कमजोर बना रही है।

* भ्रष्टाचारः-

भ्रष्टाचार रूपी दीमक राष्ट्र को खोखला तथा कमजोर कर रही है। इसकी रोकथाम के लिए कदम उठाना।

3. शिष्टाचारः-

शिष्टाचार का लगभग नामोनिशान ही समाप्त हो गया है।
उदाहरण:- जब कोई व्यक्ति कार्यालय में किसी कार्यवश जाता है। एक 25.30 वर्षीय अधिकारी या कर्मचारी 50 व 60 वर्षीय वृद्ध के साथ ऐसा व्यवहार करता है जैसे द्वार पर खड़े कुत्ते से किया जाता है।

यह अभद्र हथियार अंग्रेज प्रयोग किया करते थे, वही हथियार भारत की स्वतंत्रता के 68 वर्ष बाद तक चल रहा है। यह शिष्टाचार नहीं है। यह अभद्राचार है। इसे बंद किया जाए। कार्य कानून के अनुसार करें परंतु शिष्टाचार के साथ।

माता-पिता, सास-ससुर, अतिथि तथा मेहमान के साथ भद्र व नम्र व्यवहार करें। सास भूल जाती है कि कभी वह भी बहू थी। इस कारण से विवाद बनता है। बहू को समझना चाहिए जैसे आप अपनी जन्म देने वाली माता का सत्कार करती हैं उसी प्रकार सासू माँ का सत्कार करें। जन्म दात्री माँ तो केवल 18 वर्ष तक साथी थी। अब सासू माँ के साथ लम्बा जीवन जीना है। इसे नरक न बनाऐं। अधिक समाधान के लिए पढ़ें पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा‘‘।

4. नशा (शराब, तम्बाकू, गांजा, भूकी, भांग, अफीम तथा अन्य नशीली वस्तुएं) से मुक्ति दिलाना।

पढ़ें पुस्तक मानवता का ह्रास तथा विकास के पृष्ठ 25 व 37 पर।

5. विवाह में दहेज लेना व देना बन्द कराना।

जिस किसी ने 18 वर्ष की कन्या को पाल-पोस कर आप जी को दे दिया। इससे बड़ा दहेज क्या हो सकता है? इसलिए विवाह में दहेज न ही लेना, न ही देना है। जो दहेज मांगे उससे पुनः विवाह की चर्चा भी न करें। परमात्मा ने जहां संस्कार बनाया है वहां पर अवश्य होगा। कोई ताकत उसे रोक नहीं सकती।

6. वेशभूषा:-

पश्चिमी देशों वाला फैशन न हो।

शरीर ढ़कने के लिए वस्त्र मानव समाज की सभ्यता का प्रतीक है। मानव के अतिरिक्त सर्व प्राणी निवस्त्र रहते हैं। कुत्ते-बंदर को छोड़कर अन्य प्राणियों को अपने गुप्तांग ढ़कने के साधन दुम तथा बाल परमात्मा ने दिए हैं। मानव को भी बाल दिए हैं। मानव को परमात्मा ने बुद्धि अधिक प्रदान की है जिस कारण मानव ने वस्त्रों का प्रयोग किया। वर्तमान में जो पश्चिमी देशों वाली वेशभूषा का प्रचलन बढ़ा है वह सभ्य समाज का नहीं है। शरीर के अधिक अंग नंगे रखना एक परम्परा-सी बन गई है। उन व्यक्तियों का जो परमात्मा की सत्य साधना नहीं करते, यह शौक अगले जन्म में कुत्ते-कुतिया तथा बंदर-बंदरिया बन कर पूरा हो जाएगा।

* वर्तमान में कुछ लड़कियों ने पैंट, पाजामा अर्थात् लड़कों वाली वेशभूषा पहनना आरंभ कर दिया है। यह उचित नहीं है। हमारे पूर्वजों ने स्त्री-पुरूष की पोशाक भिन्न-भिन्न बनाई थी जो उचित है।

यदि लड़कों ने लड़कियों वाली सलवार-कुर्ता चुन्नी प्रयोग करना शुरू कर दिया तो कितनी अराजकता फैल जाएगी। लड़का-लड़की की पहचान न होने से उपद्रव हो जाएगा। इसलिए वस्त्र भिन्न हों तथा कार्य करने में बाधक न हों, कार्य में सुविधाजनक हों।

जैसे लड़के-लड़कियां जीन्स की पैंट पहनते हैं मानो पलस्तर कर रखा हो। यह सब गलत है। यह सिनेमा की देन है। सिनेमा निर्माताओं को चाहिए कि वे केवल पैसा न देखें, मानव हित को मध्यनजर रखकर सिनेमा बनाऐं। सिनेमा वालों को पत्राचार द्वारा प्रार्थना की जाए, कानून भी ऐसा बनाया जाए जिसमें सिनेमा निर्माता कोई समाज विरोधी पोषाक का प्रयोग न करें।

7. जीव हिंसा पाप है:-

माँस न खाने तथा जीव हिंसा न करने के लिए मानव समाज को प्रेरित करना तथा जीव हिंसा के पाप से परिचित करना है।

* मानव हत्या:-

हमारे कुछ सदस्य कुछ समय के लिए झूठे मुकदमों में रोहतक जेल में थे। वहां पर आपसी झगड़े में हत्या के मुकदमों में सजा प्राप्त या किसी बदमाश के बहकावे में आकर हत्या करने की सजा प्राप्त व्यक्ति रो रहे थे तथा कह रहे थे कि किसी की हत्या नहीं करनी चाहिए। हम से भारी गलती हुई है। कोर्ट-कचैहडि़यों में धन नाश होने से लुट-पिट कर अब सजा काट रहे हैं। परिवार वाले रो रहे हैं। किसी हत्या करने से अच्छा तो कोई हमें मार दे, वह अच्छा। वह तो एक बार मौत, यहां जेल में प्रतिदिन का दुःख मृत्यु से कहीं अधिक है।

मांस भक्षण कितना पाप है? पढ़ें पुस्तक मानवता का ह्रास तथा विकास के पृष्ठ 25 व 37 पर।

राष्ट्रीय समाज सेवा समिति सर्व मानव समाज से विनम्र प्रार्थना करती है कि आप स्वयं तथा अपने बच्चों को आध्यात्मिक ज्ञान सुनें तथा सुनाऐं। इससे बच्चे तथा जवान गलतियों से बच कर स्वयं भी चैन-अमन से जीऐंगे तथा सभ्य समाज को भी अमन से जीने देंगे।

इसके लिए पढें पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा‘‘। पुस्तक निशुल्क प्राप्त करने के लिए सम्पर्क सूत्रों ( 09992600804, 09992600806, 09992600855 ) पर अपना पूरा पता SMS करें। पुस्तक आपके पते पर पहुंच जाएगी तथा संत रामपाल दास जी महाराज के सत्संग प्रतिदिन साधना चैनल पर शाम 7.45 PM पर एक घण्टा आते हैं, सुनें और अपना जीवन सफल बनाऐं।

8. दुराचार (व्यभीचार) के अवगुणों को बताकर इस बुराई से समाज को बचाना।

* दुराचार का पाप:-

हमारे कुछ सदस्य झूठे मुकदमों में (जिनका उल्लेख पुस्तक ‘‘न्यायालय की गिरती गरिमा‘‘ में है) रोहतक जेल में थे। वहां पर कई व्यक्ति मिले जो बलात्कार के अपराध में कैद काट रहे थे, वे पछता रहे थे। बता रहे थे कि दुर्भाग्य ने ऐसा घिनौना कर्म करा दिया। न समाज में इज्जत रही, धन भी बहुत खर्च हो गया। घर का कार्य भी ठप्प पड़ा है।

अब हम बहुत पाश्चाताप कर रहे हैं तथा अब सर्व स्त्री बहन के तुल्य लग रही हैं।

भक्तों ने बताया कि यदि आप जी ने संत रामपाल दास जी महाराज का सत्संग सुना होता तो यह विचार आप पाप करने से पहले करते और महापाप तथा जेल के दुःख से बच जाते। संत रामपाल दास जी महाराज सत्संग में बताते हैं:-

कबीर, परनारी को देखिये, बहन बेटी के भाव।
कह कबीर काम नाश का, यही सहज उपाय।।

* दुराचारी को दण्ड:-

सर्व मानव समाज से राष्ट्रीय समाज सेवा समिति की प्रार्थना है कि बलात्कार करने वाले तथा स्त्रिायों से छेड़छाड़ करने का कठोर कानून है। जिसके तहत जमानत भी नहीं होती है। 15 वर्ष की कैद भी काटनी पड़ती है। बुराइयों से बचने तथा अपनी संतान को अच्छे संस्कार युक्त करने के लिए संत रामपाल दास जी महाराज का सत्संग सुनें। आत्म कल्याण, घर व शरीर में सुख तथा व्यवसाय भी निर्बाध चलता है।

(दुराचार का कितना पाप है? प्रमाण के लिए पढ़ें पृष्ठ 36 पर।)

विचार करें यदि आप की बहन-बेटी से कोई गलत गतिविधि करे तो आप को कैसा लगेगा?

‘‘जैसा दर्द आपनै होवै, ऐसा जान बिरानै‘‘

अधिक ज्ञान के लिए पढ़ें पुस्तक मानवता का ह्रास तथा विकास के पृष्ठ 36 का विवरण।

9. वर्तमान के संत शास्त्र विरूद्ध ज्ञान तथा नाम-मन्त्र प्रदान कर रहे हैंः-

सर्व संतों से प्रार्थना करेंगे कि आप जी अपने द्वारा बताई गई साधना मंत्रों का प्रमाण बताऐं कि वे शास्त्र प्रमाणित हैं। यदि नहीं हैं तो आप जी श्रद्धालुओं का जीवन नष्ट न करें। उनसे कह दें कि हमारी भक्ति विधि मोक्षदायक नहीं है, वास्तविक भक्ति विधि संत रामपाल दास जी महाराज सतलोक आश्रम बरवाला जिला-हिसार (हरियाणा) के पास है। अपने सिर से शिष्यों का भार उतारें।

* शास्त्र प्रमाणित भक्ति जानने के लिए कृपया पढ़ें पुस्तक ‘‘ज्ञान गंगा‘‘ तथा देखें टी.वी. चैनल साधना शाम 7:45 PM.

10. चोरी, जूआ आदि अपराध करने से मानव को आध्यात्म ज्ञान के आधार से बचाना।

कबीर, मांस भखै और मद पिये, धन वेश्या सों खाय।
जूआ खेलि चोरी करै, अंत समूला जाय।।

* चोर सदा दुखी रहता है:-

एक चोर ने एक भक्त किसान का बैल चुरा लिया। किसान के पास एक ही बैल था। परमेश्वर कबीर जी उस किसान के गुरू जी थे। बैल के चोरी होने की बात जब किसान ने गुरू जी को बताई तो परमेश्वर कबीर जी ने कहा बच्चा! परमात्मा पर विश्वास रख, सब ठीक हो जाएगा।

कबीर, सत मत छोड़ै शूरमा, सत छोड़े पत जाय।
सत के बांधे लक्ष्मी, फेर मिलेगी आय।।

किसान ने उधार पर बैल मोल लिया। खेत में बीज बीजा। परमात्मा की कृपा से वर्षा अच्छी और समयानुसार हुई। फसल अच्छी हुई। किसान ने एक बैल और मोल लिया तथा पहले बैल का ऋण भी चुका दिया। एक वर्ष के पश्चात् वही चोर फिर रात्रि में उसी किसान के दोनों बैल चुरा ले गया। किसान ने अपने गुरूदेव से फिर दोनों बैल चोरी होने की अर्जी लगाई। परमेश्वर कबीर जी ने कहा बच्चा! विश्वास मत खोना, सब ठीक हो जाएगा।

कबीर, जो तोकूं कांटा बोवै, ताको बो तू फूल।
तोहे फूल के फूल है, वाको है त्रिशूल।।

किसान ने दो बैल उधार पर मोल लिये, खेत बीजा। परमेश्वर की कृपा हुई, वर्षा समय पर अच्छी होने से बहुत अच्छी फसल हुई। किसान ने दो बैलों का ऋण चुकाया तथा दो बैल और खरीदे तथा अधिक जमीन पर खेती की। एक नौकर (हाली) भी रख लिया।

एक वर्ष के पश्चात् वही चोर फिर उसी किसान के घर पर चोरी करने के उद्देश्य से गया। उसने सोचा था कि किसान के अब कोई बैल नहीं होगा। फिर भी एक बार देख लेता हूँ। देखा तो किसान के घर पर चार बैल खड़े थे। यह दृश्य देखकर चोर ने सोचा कि मैंने इसके तीन बैल चुराए, मेरे पास एक पैसा भी नहीं है। लड़का बीमार हुआ तथा पत्नी बीमार हुई। सर्व पैसा जो तीन बैल बेचकर प्राप्त किया था, खर्च हो गया और किसान के घर चार बैल बंधे है। यह एक आश्चर्य की बात है।

चोर ने रात्रि में आंगन में सोऐ किसान को जगाया। किसान ने पूछा कि कौन है भाई! चोर ने कहा कि मैं चोर हूँ। किसान ने सोचा कि कोई मजाक कर रहा है कहा कि चोर है तो अपना काम कर मुझे सोने दे। चोर ने कहा जो कार्य मैं करता था, वह अब करने का मन नहीं बन रहा।

हे किसान! मैंने तेरे तीन बैल चुराए, मेरे पास आज एक पैसा नहीं है। कुछ ऋण भी हो गया है। आप के पास पहले दो बैल थे। अब देखा तो आपके पास चार बैल हैं। इसका राज जानना चाहता हँू।

किसान ने कहा कि मैंने गुरू बना रखा है। गुरू पूरा है। उन्होंने बताया है कि जो चोरी करते हैं उनका सर्वनाश होता है। प्राणी को केवल किस्मत में लिखा ही मिलता है। यदि कोई चोरी-रिश्वतखोरी या मिलावट आदि-2 करके धन प्राप्त करता है तो वह धन उसके पास नहीं रहेगा। या तो परिवार रोगी हो जाएगा, सर्व धन खर्च हो जाएगा या स्वयं रोगी होकर सर्व पैसा खर्च करेगा तथा चोरी करना एक घोर पाप है। चोरी वाला धन नहीं रहता, केवल पाप शेष रह जाते हैं। वह पाप जो चोरी करने से हुआ है वह चोर को भोगना पड़ता है। किसी का बैल बनेगा, किसी की भैंस या गाय बनकर ऋण उतारेगा।

यह सब सुनकर चोर कांपने लगा तथा कहा हे किसान! यह सब कुछ मेरे साथ हो चुका है। मुझको बचाव का रास्ता बताईये। किसान ने उस चोर को गुरू जी से मिलाया तथा सर्व दास्तां सुनाई। गुरू जी ने कहा बच्चा! अच्छा है अब भी सुधर जा, तेरे सर्व पाप परमात्मा क्षमा कर देगा। भक्ति कर अपने परिवार को भी दीक्षा दिला दे। चोर ने स्वयं नाम दीक्षा ली तथा परिवार को दिलाई।

किसान ने उसको एक बैल दे दिया कि आप भी किसान हैं, खेती करो। चोर ने खेती की, अच्छी खेती हुई। चोर भक्त बन गया। भक्त चोर ने पहले वाले तीन बैल तथा एक बैल जो किसान ने स्वइच्छा से दिया था, उन सबके पैसे किसान भक्त को दे दिये। अपने कुकृत्य की क्षमा याचना की।

किसान ने कहा कि भक्त मुझे तो परमात्मा ने इन बैलों के पैसे उसी वर्ष दे दिये थे। आप ये सर्व धन गुरू जी को दान कर दो। भक्त बने चोर ने सर्व धन गुरूजी को दे दिए। गुरूजी ने भण्डारा-भोजन में धर्म में लगा दिए।

सज्जनो! यदि चोरी करने से धनी बनते तो सर्व चोर ही बन जाऐं। इसलिए परमात्मा पर विश्वास रखकर नेक नीति से भक्ति करें तथा अपना घर, खेत, दुकान या नौकरी का धंधा भी करते रहें। परमात्मा शास्त्रानुकूल साधना करने वाले भक्त को किसी वस्तु का अभाव नहीं रहने देता। पाप का दण्ड भी समाप्त करके परमात्मा साधक को सुखी कर देता है। प्रमाण देखें पुस्तक मानवता का ह्रास तथा विकास के पृष्ठ 118 पर। इसलिए इस अपराधिक कर्म से बचें, नेक जीवन जीवें।

जूआ:- जो जूआ खेलते हैं, सट्टा लगाते हैं, उनका सर्वनाश होता है। मिलता वही है जो मुकद्दर में लिखा है। इसलिए इस पाप कर्म को त्यागकर नेक नीति से जीवन निर्वाह करें। संत रामपाल दास जी महाराज से दीक्षा लेकर अपना जीवन धन्य करें।